उत्तराखंड सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए राजस्व विभाग में एक नया नियम लागू किया है। इसके तहत, अब पटवारी और लेखपाल अपनी गृह तहसील में तैनात नहीं किए जाएंगे। इसके साथ ही, कोई भी राजस्व उप निरीक्षक (पटवारी) या लेखपाल एक ही परगना या तहसील में पाँच वर्षों से अधिक समय तक कार्यरत नहीं रहेगा।
शासन का नया आदेश
- गृह तहसील में पटवारियों की तैनाती पर पूर्ण रोक।
- एक तहसील में लगातार तीन वर्ष से अधिक काम नहीं कर सकेंगे।
- एक परगना में पाँच वर्षों से अधिक की तैनाती संभव नहीं होगी।
- पिछली तहसील या परगना में पाँच वर्ष तक वापसी पर रोक।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की गृह तहसील में तैनाती के कारण अनियमितताओं की शिकायतें बढ़ रही थीं। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है ताकि पटवारी और लेखपाल निष्पक्ष तरीके से काम करें और किसी भी प्रकार की पक्षपातपूर्ण गतिविधियाँ न हों।
इस आदेश का प्रभाव
- भ्रष्टाचार पर अंकुश – इस निर्णय से भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की संभावनाएँ कम होंगी।
- पारदर्शिता में सुधार – शासन की पारदर्शिता बढ़ेगी और शिकायतों में कमी आएगी।
- अधिकारियों में जवाबदेही – कर्मचारी मनमाने ढंग से कार्य नहीं कर पाएंगे और उनकी जवाबदेही तय होगी।
- न्यायपूर्ण प्रशासन – नागरिकों को निष्पक्ष सेवा मिलेगी और अधिकारियों की मनमानी रुकेगी।
उत्तराखंड सरकार का यह फैसला प्रशासनिक सुधार की दिशा में उठाया गया एक मजबूत कदम है। इससे राजस्व विभाग में अनुशासन और पारदर्शिता बढ़ेगी। अब देखना यह होगा कि यह आदेश कितना प्रभावी साबित होता है।