संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
फिशिंग कैट का दुर्लभ दर्शन
उत्तराखंड के नैनीताल जिले के तराई पूर्वी डिवीजन में वन विभाग की टीम को हाल ही में एक दुर्लभ फिशिंग कैट मिली। यह घटना वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। इस दुर्लभ बिल्ली को वन विभाग द्वारा बचाकर पुनर्वास किया गया।
कैसे मिली फिशिंग कैट?
15 मार्च को बराकोली सितारगंज रेंज में गश्त के दौरान वन विभाग के कर्मचारियों को यह दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली गंभीर अवस्था में मिली। यह बिल्ली अपने पिछले हिस्से को हिला नहीं पा रही थी और गंभीर रूप से घायल लग रही थी। वनकर्मियों ने बिना देर किए उसे नैनीताल रेस्क्यू सेंटर पहुँचाया, जहाँ उसे तत्काल चिकित्सा दी गई।
फिशिंग कैट की विशेषताएँ
फिशिंग कैट एक मध्यम आकार की जलीय बिल्ली होती है, जो मुख्य रूप से आर्द्रभूमि (वेटलैंड) क्षेत्रों में पाई जाती है। इसका मुख्य आहार मछलियाँ होती हैं, इसीलिए इसे ‘फिशिंग कैट’ कहा जाता है। भारत में यह पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में अधिक पाई जाती है, लेकिन उत्तराखंड में इसकी उपस्थिति अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है।
रेस्क्यू ऑपरेशन और पुनर्वास
प्रशिक्षु आईएफएस अधिकारी आदित्य रत्न ने बताया कि इस बचाव अभियान में पश्चिमी सर्कल के मुख्य वन संरक्षक, तराई ईस्ट के डीएफओ, नैनीताल डीएफओ, चिकित्सा स्टाफ और बराकोली सितारगंज रेंज के वनकर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उचित देखभाल और उपचार के बाद अब यह बिल्ली पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है और इसे एक सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया गया है।
ग्रेटर कॉर्बेट में पहला फोटोग्राफिक प्रमाण
ग्रेटर कॉर्बेट लैंडस्केप में अक्टूबर 2023 में फिशिंग कैट का पहला फोटोग्राफिक प्रमाण दर्ज किया गया था। इससे पहले, व्यापक सर्वेक्षण के बावजूद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में इस प्रजाति की मौजूदगी दर्ज नहीं की गई थी। इस खोज से यह स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड के जंगलों में यह दुर्लभ प्रजाति अभी भी मौजूद है।
फिशिंग कैट का संरक्षण और चुनौतियाँ
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने फिशिंग कैट को संकटग्रस्त श्रेणी में सूचीबद्ध किया है। इसके अस्तित्व को सबसे बड़ा खतरा आर्द्रभूमियों के नष्ट होने, प्रदूषण और मानवीय अतिक्रमण से है। उत्तराखंड में इस बिल्ली की दुर्लभता को देखते हुए इसके संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।