हिमाचल प्रदेश में आयुर्वेदिक फार्मेसी ऑफिसर परीक्षा विवाद: प्रशासनिक लापरवाही या तकनीकी गलती?
परिचय
हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुई आयुर्वेदिक फार्मेसी ऑफिसर परीक्षा विवादों में आ गई है। 14 सितंबर 2024 को आयोजित इस परीक्षा में कई अभ्यर्थियों को ओएमआर शीट में ‘ई-ऑप्शन’ गायब होने की समस्या का सामना करना पड़ा। इस गलती के कारण कुछ उम्मीदवारों को अनुचित नेगेटिव मार्किंग झेलनी पड़ी। इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप किया है और आयोग से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
तकनीकी त्रुटि या सुनियोजित लापरवाही?
प्रश्न यह उठता है कि क्या यह केवल एक तकनीकी त्रुटि थी या फिर कोई प्रशासनिक लापरवाही? परीक्षा की बुकलेट के कॉलम 22ए में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख था कि यदि किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया गया, तो उस पर नेगेटिव मार्किंग लागू होगी। लेकिन कुछ उम्मीदवारों को मिली ओएमआर शीट में ‘ई-ऑप्शन’ ही नहीं था। इसका मतलब यह हुआ कि वे या तो अनुमानित उत्तर भरने को मजबूर हुए या फिर उन्हें बिना किसी गलती के अंक कटने पड़े।
न्यायालय की भूमिका
अभ्यर्थियों की शिकायतों पर न्यायालय ने संज्ञान लिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की अदालत ने आयोग से जवाब मांगा। कोर्ट ने परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी है और यह शर्त रखी है कि परिणाम घोषित करने से पहले उसकी अनुमति लेना अनिवार्य होगा। हालांकि, दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दे दी गई है।
निष्पक्षता पर सवाल
इस मामले ने सरकारी परीक्षाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह केवल मानवीय भूल थी, या फिर परीक्षा प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ी हुई थी? यदि यह लापरवाही थी, तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी? ये कुछ अहम सवाल हैं जिनका जवाब आगामी सुनवाई में सामने आ सकता है।
आगे की राह
20 मार्च 2025 को इस मामले की अगली सुनवाई होगी, जिसमें आयोग से स्पष्ट जवाब की उम्मीद है। यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, तो कोर्ट परीक्षा रद्द करने या पुनः परीक्षा आयोजित करने का आदेश दे सकता है।