उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के अखरी गांव में मंगलवार को हुई तीन हत्याओं ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। खेत जाने के दौरान पिता, पुत्र और भाई को गोलियों से भून डाला गया। यह वारदात केवल गोली चलाने तक नहीं रुकी, हत्यारों ने लाशों पर डंडे बरसाकर अपने वर्षों से जले गुस्से को निकाला। पूरा गांव दहशत में है और प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
झगड़े की शुरुआत खेत के रास्ते से
घटना की शुरुआत सुबह उस वक्त हुई जब पूर्व प्रधान मुन्नू सिंह का बेटा पीयूष ट्रैक्टर लेकर गेहूं की बोरियां उठाने जा रहा था। पप्पू सिंह दरवाजे पर खड़े थे। दोनों की नजरें मिलीं और देखते ही देखते गाली-गलौज शुरू हो गई। पीयूष ने ट्रैक्टर आगे बढ़ा दिया, तो पप्पू सिंह ने लाठी लेकर उसका पीछा किया और ट्रैक्टर रुकवा लिया। इसी दौरान फोन पर बुलाए गए लोग पहुंचने लगे और दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया।
मारपीट के बाद अचानक शुरू हुई गोलीबारी
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पप्पू सिंह के परिवार से अभय बाइक से और अनूप पैदल दौड़ते हुए घटनास्थल पर पहुंचे। मारपीट के दौरान पप्पू सिंह ने लाठी से मुन्नू सिंह के सिर पर हमला किया, जिससे वह घायल होकर गिर पड़ा। इसी के तुरंत बाद मुन्नू सिंह पक्ष ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें पप्पू सिंह, उनके बेटे अभय और भाई अनूप की जान चली गई।
पोस्टमार्टम में हुआ खुलासा: बर्बरता की हद पार
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने हत्याकांड की क्रूरता को सामने ला दिया। पप्पू सिंह को पेट, सीने और कमर के नीचे पांच गोलियां मारी गई थीं। अभय और अनूप को भी पास से गोली मारी गई थी। 312 और 32 बोर के तमंचों का इस्तेमाल हुआ। शरीर में छर्रे मिले हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि पप्पू सिंह को गोली मारने के बाद डंडों से बुरी तरह पीटा गया था। डंडा खून से लाल हो गया था।
सालों पुरानी दुश्मनी, पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ता तनाव
यह दुश्मनी कोई नई नहीं थी। पप्पू सिंह और मुन्नू सिंह के पिता भी एक-दूसरे से भिड़ चुके थे। उनके बीच कभी झगड़े होते, कभी सुलह हो जाती, लेकिन नई पीढ़ी ने पुराने झगड़ों को खत्म करने के बजाय उसे और उग्र बना दिया। अब यह रंजिश तिहरे हत्याकांड का रूप ले चुकी है।
घटना के बाद गांव में पसरा सन्नाटा
हत्या की खबर फैलते ही गांव में मातम छा गया। चारों ओर सन्नाटा और भय का माहौल था। बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए और शव उठाने से इनकार कर दिया। उन्होंने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और न्याय की मांग की। गांववालों का आरोप था कि प्रशासन ने पहले कभी इस विवाद को गंभीरता से नहीं लिया, जिसका नतीजा ये हत्याएं हैं।
तीन नामजद आरोपी गिरफ्तार, बाकी की तलाश में टीमें तैनात
पुलिस ने मृतक अनूप की पत्नी मनीषा की तहरीर पर पूर्व प्रधान सुरेश सिंह उर्फ मुन्नू, उनके बेटे पीयूष और चार अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया। तीन को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि बाकी फरार आरोपियों की तलाश के लिए दस विशेष टीमों का गठन किया गया है। पुलिस का दावा है कि सभी को जल्द पकड़ लिया जाएगा।
हमलावर स्कॉर्पियो से फरार, सब कुछ था पहले से तय?
पुलिस जांच में सामने आया कि हमलावर पहले से गांव निवासी रमेश के नलकूप के पास ट्रैक्टर लेकर घात लगाए बैठे थे। जैसे ही पप्पू सिंह पक्ष खेत की ओर गया, हमलावरों ने हमला बोल दिया। घटना को अंजाम देने के बाद वे स्कॉर्पियो गाड़ी में सवार होकर फरार हो गए। इससे यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि पूरी घटना एक सुनियोजित साजिश थी।
पुलिस की मौजूदगी के बावजूद चार घंटे तक नहीं हटाए गए शव
हत्या के बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने में पुलिस को चार घंटे का वक्त लग गया। ग्रामीणों के विरोध के कारण स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। मौके पर पहुंचे एसपी धवल जायसवाल और अन्य अधिकारियों ने सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया, जिसके बाद शव हटाए जा सके। जांच के लिए प्रयागराज से एडीजी भानू भास्कर और आईजी प्रेम कुमार भी गांव पहुंचे।
राजनीतिक हस्तक्षेप का अभाव, परिवार खुद को अकेला महसूस कर रहा
विनोद सिंह भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के जिला उपाध्यक्ष थे। इसके बावजूद किसी भी राजनेता या संगठन की ओर से अब तक कोई सहायता या संवेदना नहीं पहुंची है। पीड़ित परिवार का कहना है कि वे खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं और उन्हें डर है कि आरोपी फिर से हमला न कर दें।
न्याय की आस में बैठा परिवार, प्रशासन की अग्नि परीक्षा
पुलिस पर अब दोहरी जिम्मेदारी है—हत्यारों की गिरफ्तारी और गांव में कानून-व्यवस्था बनाए रखना। पीड़ित परिवार को प्रशासन से पूरी उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी। इस घटना ने साबित कर दिया है कि पुरानी रंजिश अगर समय रहते न सुलझाई जाए तो वह जानलेवा बन सकती है।