देहरादून – तपोवन फेस-5 कॉलोनी में यूपीसीएल द्वारा हाइटेंशन तार बिछाने के कार्य को लेकर भारी विरोध शुरू हो गया है। कॉलोनीवासियों का आरोप है कि यह कार्य बिना किसी पूर्व सूचना और अनुमोदन के आनन-फानन में शुरू किया गया है, जिससे क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा और जीवन पर खतरा मंडरा रहा है।
दरअसल, यूपीसीएल द्वारा तपोवन फेस-5 से हाइटेंशन तार निकालकर आगे शास्त्रीपुरम वालभवन के पास स्वीकृत ट्यूबवेल तक ले जाया जा रहा है। यह कार्य तेजी से छुट्टियों के दौरान किया जा रहा है, जिससे कॉलोनीवासी भड़क गए हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि न केवल उनकी सहमति के बिना यह कार्य शुरू किया गया है, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और आम नागरिकों की जान को भी खतरे में डाला जा रहा है।
कॉलोनी में लगभग 200 से 300 बच्चों का एक स्कूल भी स्थित है, जिस पर इस हाइटेंशन लाइन का सीधा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा कॉलोनीवासियों ने यूपीसीएल और स्थानीय प्रशासन पर धमकाने के आरोप भी लगाए हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों और पुलिसकर्मियों द्वारा दबाव बनाकर काम कराया जा रहा है और स्थानीय विधायक उमेश काऊ की मिलीभगत से यह कार्य हो रहा है।
कॉलोनीवासियों ने काम रुकवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है, जिसे सोमवार के लिए सूचीबद्ध किया गया है। तब तक के लिए यूपीसीएल तेजी से खंभे गाड़ने और तार बिछाने में लगा हुआ है। लोगों की मांग है कि हाइटेंशन तार को या तो सड़क से निकाला जाए या फिर इसे अंडरग्राउंड किया जाए ताकि आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस मामले में स्थानीय पार्षद राजीव डोभाल ने बताया कि कॉलोनी से शास्त्रीपुरम की ओर स्वीकृत ट्यूबवेल के लिए यह लाइन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कई विकल्पों पर विचार किया गया और अंततः यह मार्ग सबसे उचित माना गया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि कॉलोनीवासियों को समस्या है, तो वे विधायक से बातचीत कर इस लाइन को अंडरग्राउंड करवाने की कोशिश करेंगे।
हालांकि कॉलोनीवासियों का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। डॉ. आईपी सक्सेना, पूजा अमित कुमार, डॉ. सुभाष सक्सेना, डॉ. अर्चना मिश्रा, कैप्टेन अमित कुमार, डॉ. एसडी तायल, रिटायर्ड जज धीरेंद्रनाथ और डॉ. मुकुल भटनागर जैसे प्रतिष्ठित नागरिकों ने भी इस कार्य का विरोध करते हुए यूपीसीएल पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि कॉलोनीवासियों का यह विरोध कितना असर दिखाता है और क्या यूपीसीएल व प्रशासन इस पर कोई सकारात्मक निर्णय लेते हैं या फिर यह विवाद और गहराता है।