परिचय: दिव्यांगता को बनाया ताकत
उत्तराखंड की अंकिता तोपाल ने यह साबित कर दिया है कि किसी भी शारीरिक बाधा को मेहनत और संकल्प से पार किया जा सकता है। जन्म से दिव्यांग होने के बावजूद, उन्होंने JRF परीक्षा में पूरे भारत में दूसरी रैंक हासिल की और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
शिक्षा और कठिनाइयों से भरा सफर
अंकिता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देवाल विकासखंड से प्राप्त की और इंटरमीडिएट की पढ़ाई ऋषिकेश से पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए वे देहरादून चली गईं, जहाँ उन्होंने इतिहास विषय में स्नातकोत्तर किया। पढ़ाई के दौरान उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
JRF परीक्षा में ऐतिहासिक सफलता
JRF परीक्षा पास करना किसी भी छात्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि होती है। अंकिता ने पैरों से लिखकर इस कठिन परीक्षा को पास किया और दूसरी रैंक हासिल की। इससे पहले भी वे दो बार नेट परीक्षा सफलतापूर्वक पास कर चुकी थीं। उनकी इस सफलता से उनके परिवार और पूरे उत्तराखंड में खुशी का माहौल है।
परिवार का सहयोग और समाज के लिए प्रेरणा
अंकिता के पिता प्रेम सिंह तोपाल का कहना है कि उनकी बेटी ने कभी अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं माना और हमेशा आत्मनिर्भर बनने की कोशिश की। अंकिता की इस सफलता ने कई अन्य लड़कियों को भी प्रेरित किया है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी बाधा रास्ता रोक नहीं सकती।
भविष्य की योजनाएँ और समाज में योगदान
अंकिता अब शोध कार्य में अपना योगदान देने की तैयारी कर रही हैं। उनका सपना है कि वे इतिहास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध करके समाज के लिए कुछ उपयोगी ज्ञान प्रदान करें। साथ ही, वे दिव्यांग बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए भी कार्य करना चाहती हैं।
अंकिता तोपाल की यह सफलता साबित करती है कि मेहनत और आत्मविश्वास से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने हालात से हार मानने की सोचते हैं।