दुर्घटना जिसने बदला जीवन
हरिद्वार की रहने वाली पूजा आर्या के जीवन में एक सड़क दुर्घटना ने बड़ा बदलाव ला दिया। इस हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे वह स्थायी रूप से व्हीलचेयर पर आ गईं। जीवन के इस कठिन मोड़ ने उन्हें कमजोर नहीं किया, बल्कि उन्होंने इसे अपनी ताकत बना लिया।
चार विषयों में नेट-जेआरएफ की सफलता
पूजा आर्या ने चार अलग-अलग विषयों—दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र और योग में यूजीसी नेट-जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने यह सफलता अपने पहले ही प्रयास में प्राप्त की, जो उनके कठिन परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रमाण है।
परिवार और भाई का सहयोग
इस कठिन सफर में उनके छोटे भाई डॉ. सूर्य प्रकाश ने उनकी बहुत मदद की। वह ‘नेट-जेआरएफ विद सूर्या सर’ नामक यूट्यूब चैनल चलाते हैं, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हजारों छात्रों के लिए लाभदायक साबित हुआ है। पूजा को भी इस चैनल से मार्गदर्शन मिला, जिससे उन्होंने अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया।
शोध के क्षेत्र में अग्रणी
पूजा आर्या केवल एक परीक्षा विजेता ही नहीं, बल्कि एक प्रसिद्ध शोधकर्ता भी हैं। उनके शोध पत्र कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। उनके शोध कार्य मुख्य रूप से स्पाइनल कॉर्ड इंजरी, मानसिक स्वास्थ्य और योग के प्रभाव पर केंद्रित हैं। इससे चिकित्सा विज्ञान और योग के क्षेत्र में नई दिशा मिली है।
योग और आत्म-सशक्तिकरण
योग ने उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह इसे केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन का साधन मानती हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में योग और मानसिक स्वास्थ्य पर अपने विचार रखे हैं।
समाज में योगदान
पूजा केवल खुद तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने महिलाओं और दिव्यांगजनों के उत्थान के लिए भी कार्य किया। उनके अभियान एम्पावरमेंट के माध्यम से कई महिलाएं शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
प्रेरणादायक व्यक्तित्व
पूजा आर्या की कहानी यह साबित करती है कि कोई भी कठिनाई सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती, जब तक हमारे पास आत्मविश्वास और संकल्प हो।