बीजीआर परिसर में ऐतिहासिक जीत
गढ़वाल विश्वविद्यालय के बीजीआर परिसर, पौड़ी में छात्रसंघ चुनाव के परिणामों ने इतिहास रच दिया है। 24 साल बाद पहली बार एक छात्रा ने छात्रसंघ अध्यक्ष का पद हासिल किया है। एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) की अभिरुचि नौटियाल ने इस गौरवशाली उपलब्धि को हासिल किया, जिससे पूरे परिसर में जश्न का माहौल है।
कड़े मुकाबले में मिली जीत
अभिरुचि नौटियाल ने एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के प्रत्याशी राजकुमार नेगी को 46 वोटों से हराकर यह जीत हासिल की। अभिरुचि को 275 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी राजकुमार ने 229 वोट प्राप्त किए। यह जीत बीजीआर परिसर के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई है।
अन्य पदों पर परिणाम
इस चुनाव में सिर्फ अध्यक्ष पद ही नहीं, बल्कि अन्य पदों पर भी दिलचस्प मुकाबले देखने को मिले। उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के आलोक नेगी ने एबीवीपी के प्रेम चंद्र को हराया। सचिव पद पर एनएसयूआई के अमन नेगी विजयी रहे, जिन्होंने आर्यन ग्रुप के प्रत्याशी आशीष नेगी को मात दी।
निर्विरोध विजयी पदाधिकारी
कोषाध्यक्ष पद पर एबीवीपी के तुषार पुंडीर और सह-सचिव पद पर एनएसयूआई के संदीप मवालिया ने निर्विरोध जीत दर्ज की। इन निर्विरोध जीतों ने भी चुनाव प्रक्रिया को खास बना दिया। विश्वविद्यालय प्रतिनिधि पद पर आर्यन ग्रुप के अंकुश थपलियाल ने एबीवीपी के अभिषेक जुगराण को हराकर जीत हासिल की।
छात्राओं की बढ़ती भागीदारी
अभिरुचि नौटियाल की इस ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया है कि छात्र राजनीति में छात्राओं की भागीदारी और नेतृत्व की संभावनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। बीजीआर परिसर में छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर यह जीत दूसरी बार किसी छात्रा ने हासिल की है, जो महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गई है।
परिसर में जश्न का माहौल
चुनाव परिणाम घोषित होते ही बीजीआर परिसर में खुशी की लहर दौड़ गई। नवनिर्वाचित छात्रसंघ पदाधिकारियों ने विजय जुलूस निकाला और अपनी जीत का जश्न मनाया। परिसर में छात्र-छात्राओं ने ढोल-नगाड़ों के साथ जीत का स्वागत किया।
छात्रसंघ चुनाव का महत्व
गढ़वाल विश्वविद्यालय के तीन परिसरों में छात्रसंघ चुनाव का आयोजन हर साल किया जाता है। इस बार बिरला कैंपस में एबीवीपी के जसवंत सिंह ने अध्यक्ष पद जीता, जबकि बीजीआर परिसर में अभिरुचि नौटियाल ने अध्यक्ष बनकर इतिहास रच दिया। इस जीत ने छात्र राजनीति में एक नया संदेश दिया है
अभिरुचि नौटियाल की यह जीत केवल एक चुनावी सफलता नहीं है, बल्कि यह महिला नेतृत्व और छात्र राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो हर चुनौती को पार किया जा सकता है।