ऐतिहासिक देवरा यात्रा
उत्तराखंड के चमोली जिले में सिमली गांव की आराध्य देवी मां चंडिका 100 वर्षों बाद देवरा यात्रा कर रही हैं। इस यात्रा का आरंभ 12 अक्टूबर 2024 को विजयदशमी के शुभ अवसर पर हुआ। मां चंडिका की अंतिम देवरा यात्रा वर्ष 1924 में हुई थी। यह यात्रा नौ महीने की अवधि तक चलेगी, जिसमें देवी विभिन्न धार्मिक स्थलों का भ्रमण करती हैं।
गोपीनाथ से केदारनाथ तक मां चंडिका की यात्रा
मां चंडिका की डोली ने अपनी यात्रा के दौरान गोपीनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, केदारनाथ, और बदरीनाथ धाम जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में पहुंचकर भक्तों को दर्शन दिए। हर स्थान पर देवी की डोली का भक्तों ने भव्य स्वागत किया और उन्हें पुष्प अर्पित कर आशीर्वाद लिया।
समुद्र मंथन का आयोजन
यात्रा के दौरान सिमली क्षेत्र में पिंडर नदी पर समुद्र मंथन का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन में देवताओं और दानवों ने मिलकर मंदार पर्वत और वासुकी नाग की सहायता से समुद्र मंथन किया था। मंथन के दौरान 14 रत्न प्राप्त हुए, जिनमें विष, अमृत, कामधेनु गाय, ऐरावत हाथी, और महालक्ष्मी प्रमुख थे। भगवान शिव ने विष को पीकर विश्व का कल्याण किया, जिससे उन्हें नीलकंठ कहा गया।
क्षेत्र और विश्व कल्याण की प्रार्थना
मां चंडिका की इस यात्रा को क्षेत्र और विश्व कल्याण से जोड़ा जा रहा है। भक्तों ने मां से सुख-समृद्धि और शांति की कामना की। यात्रा के दौरान देवी के स्वागत में सैकड़ों भक्त शामिल हुए और क्षेत्र की धार्मिक परंपराओं को सजीव किया गया।