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नेशनल

पारंपरिक अनुष्ठानों में नवाचार: सुनील शेट्टी का यांत्रिक हाथी उपहार

विनोद भण्डारी
Last updated: 2025/02/25 at 6:01 AM
विनोद भण्डारी
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3 Min Read
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परंपरा और तकनीक का संगम

भारत में धार्मिक अनुष्ठानों में हाथियों का उपयोग सदियों से होता आया है। हालाँकि, आधुनिक दौर में पशु कल्याण को लेकर बढ़ती जागरूकता के चलते ऐसे आयोजनों में जीवित हाथियों की भागीदारी पर सवाल उठने लगे हैं। इसी दिशा में एक अनूठी पहल करते हुए बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी ने कर्नाटक के श्री उमामहेश्वर वीरभद्रेश्वर मंदिर को एक यांत्रिक हाथी उपहार में दिया। यह पहल पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया और कम्पैशन अनलिमिटेड प्लस एक्शन (सीयूपीए) के सहयोग से संभव हुई।

Contents
परंपरा और तकनीक का संगममंदिर प्रशासन का सराहनीय निर्णयउमामहेश्वर का भव्य स्वागतयांत्रिक हाथी की विशेषताएँसुनील शेट्टी का संदेशभविष्य की संभावना

मंदिर प्रशासन का सराहनीय निर्णय

तवरेकेरे स्थित श्री उमामहेश्वर वीरभद्रेश्वर मंदिर ने यह निर्णय लिया कि वे भविष्य में किसी भी जीवित हाथी का उपयोग नहीं करेंगे और न ही उन्हें मंदिर आयोजनों में शामिल करेंगे। यह निर्णय न केवल पशु क्रूरता को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी प्रेरणादायक है।

उमामहेश्वर का भव्य स्वागत

सोमवार को मंदिर में यांत्रिक हाथी उमामहेश्वर के आगमन पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। मंगल वाद्य और भजन संध्या के साथ इस यांत्रिक हाथी का स्वागत किया गया। यह मंदिर दावणगेरे जिले का पहला ऐसा मंदिर बन गया है जिसने आधुनिक तकनीक को अपनाकर धार्मिक अनुष्ठानों को क्रूरता-मुक्त बनाया है।

यांत्रिक हाथी की विशेषताएँ

उमामहेश्वर नामक यह यांत्रिक हाथी पूरी तरह स्वचालित है और इसे इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह वास्तविक हाथी जैसा प्रतीत हो। इसके माध्यम से पारंपरिक अनुष्ठानों को निभाने के दौरान जीवित हाथियों की पीड़ा को समाप्त किया जा सकता है। यह तकनीक उन मंदिरों के लिए एक प्रेरणा है, जो पशु कल्याण को महत्व देते हुए परंपराओं को बनाए रखना चाहते हैं।

सुनील शेट्टी का संदेश

सुनील शेट्टी ने इस अवसर पर कहा, “हाथी हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं। वे जंगलों को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस पहल का उद्देश्य यह संदेश देना है कि हमें अपनी धार्मिक परंपराओं का निर्वाह करते हुए भी जानवरों के प्रति दयालुता रखनी चाहिए।”

भविष्य की संभावना

श्री उमामहेश्वर वीरभद्रेश्वर मंदिर का यह कदम अन्य मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकता है। यह दिखाता है कि तकनीकी नवाचार के माध्यम से परंपराओं का पालन बिना किसी जीव को कष्ट पहुँचाए भी किया जा सकता है। यदि अन्य मंदिर भी इस पहल को अपनाते हैं, तो यह धार्मिक आयोजनों में पशु कल्याण की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

सुनील शेट्टी, पेटा इंडिया और सीयूपीए के इस प्रयास ने पशु अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। यह पहल केवल एक मंदिर तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि देशभर में अन्य धार्मिक स्थलों को प्रेरित करेगी कि वे भी पशु कल्याण को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक का उपयोग करें

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