नियमों की अनदेखी कर बन रहा था विशाल गुरुद्वारा
रुद्रप्रयाग जिले में बदरीनाथ हाईवे पर स्थित सुमेरपुर क्षेत्र में एक विशाल दस मंजिला भवन का निर्माण किया जा रहा था। जब स्थानीय निवासियों ने इस निर्माण की जानकारी मीडिया को दी, तो यह उजागर हुआ कि यह भवन वास्तव में एक गुरुद्वारा है, जिसका निर्माण सरकारी नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा था। इस खुलासे के बाद जिला प्रशासन ने अवैध निर्माण को रोक दिया और सख्त चेतावनी जारी की।
अलकनंदा नदी के किनारे हो रहा था अवैध कार्य
उत्तराखंड में नदियों के किनारे निर्माण कार्य पर प्रतिबंध है, फिर भी इस भवन का निर्माण अलकनंदा नदी के करीब किया जा रहा था। कानून के अनुसार, नदी के 200 मीटर के दायरे में किसी भी स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं होती, लेकिन इस इमारत को इन नियमों की अनदेखी कर खड़ा किया जा रहा था।
रेत और अन्य सामग्री की चोरी
सूत्रों के मुताबिक, निर्माण कार्य में उपयोग होने वाली रेत को चोरी-छिपे अलकनंदा नदी से निकाला जा रहा था। यह न केवल अवैध है बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरा है। प्रशासन ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए आवश्यक कानूनी कार्रवाई की बात कही है।
स्थानीय जनता का रोष
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि यह निर्माण कार्य जिला मुख्यालय के पास होने के बावजूद किसी की नजर में नहीं आया। लोगों ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर करते हुए सवाल खड़े किए कि आखिर इतनी बड़ी इमारत बिना किसी अनुमति के कैसे बनाई जा सकती है।
भू-कानून की मांग तेज
इस घटना के बाद उत्तराखंड में भू-कानून को सख्ती से लागू करने की मांग उठ रही है। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों का कहना है कि अगर प्रशासन समय पर कदम उठाए, तो इस तरह के अवैध निर्माणों को रोका जा सकता है।
रुद्रप्रयाग में बन रहे इस गुरुद्वारे का निर्माण अवैध तरीके से किया जा रहा था, जिसे प्रशासन ने सही समय पर रोक दिया। अब यह देखना जरूरी होगा कि क्या इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होती है या यह मामला भी अन्य अवैध निर्माणों की तरह अनदेखा कर दिया जाएगा।