1. एक महान संगीतज्ञ का अवसान
भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक पंडित प्रभाकर कारेकर का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे एक महान कलाकार थे जिन्होंने अपनी संगीत साधना से भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया। उनके निधन से संगीत प्रेमियों और उनके शिष्यों में गहरी शोक की लहर दौड़ गई।
2. जीवन परिचय
पंडित प्रभाकर कारेकर का जन्म गोवा के अंत्रुज महल में हुआ था। बाल्यकाल से ही संगीत के प्रति उनकी विशेष रुचि थी। उन्होंने पंडित जितेंद्र अभिषेकी, पंडित सुरेश हल्दांकर और पंडित सीआर व्यास से संगीत की शिक्षा प्राप्त की।
3. उनकी गायकी की विशेषताएँ
उनकी आवाज़ में एक विशेष मिठास और गहराई थी जो उन्हें अन्य गायकों से अलग करती थी। वे विशेष रूप से “बोलवा विट्ठल पाहावा विट्ठल” और “वक्रतुंड महाकाय” जैसे भजनों के लिए जाने जाते थे। उनके गायन में भक्ति रस और शास्त्रीय तत्वों का अद्भुत संगम देखने को मिलता था।
4. संगीत क्षेत्र में योगदान
पंडित प्रभाकर कारेकर ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) और दूरदर्शन के ग्रेडेड कलाकार थे। उन्होंने भारत और विदेशों में कई महत्वपूर्ण संगीत मंचों पर अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। वे न केवल एक कुशल गायक बल्कि एक अद्वितीय शिक्षक भी थे, जिन्होंने अपने कई शिष्यों को संगीत की गहरी समझ दी।
5. श्रद्धांजलि और संवेदनाएँ
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा, “उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। उनकी संगीत विरासत उनके शिष्यों और प्रशंसकों के माध्यम से जीवित रहेगी।” संगीत प्रेमियों और उनके परिवार के लिए यह एक बड़ी क्षति है।
पंडित प्रभाकर कारेकर का जाना भारतीय संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लेकिन उनकी कला, उनका समर्पण और उनकी सिखाई हुई धरोहर आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।