डिजिटल युग में आध्यात्मिकता
प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ 2025 ने डिजिटल तकनीक के सहारे आध्यात्मिकता को एक नई दिशा दी है। पहली बार, श्रद्धालुओं को डिजिटल माध्यमों से जुड़ने और कुंभ का अनुभव करने का अवसर मिल रहा है। अब तक, 90,000 से अधिक लोगों ने इस डिजिटल पहल का आनंद लिया है। शनिवार को लगभग 8,000 श्रद्धालु डिजिटल कुंभ में शामिल हुए। श्रद्धालुओं ने इसे ऐसा अनुभव बताया, जो उन्हें समुद्र मंथन के ऐतिहासिक काल में ले गया।
डिजिटल दीप दान की नई परंपरा
डिजिटल दीप दान महाकुंभ 2025 का प्रमुख आकर्षण बन गया है। श्रद्धालु अपने स्मार्टफोन या अन्य डिजिटल उपकरणों के जरिए दीप दान कर सकते हैं। यह परंपरा न केवल तकनीक के माध्यम से आसान हुई है, बल्कि इसमें भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को गहन आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान कर रही है।
हर दिन हजारों की भागीदारी
डिजिटल कुंभ में हर दिन 7,000 से 8,000 श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। इस आयोजन ने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में बसे भारतीय समुदाय को भी अपनी ओर आकर्षित किया है। आयोजकों का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य कुंभ के पारंपरिक अनुभव को डिजिटल रूप में हर कोने तक पहुंचाना है।
एआई के जरिए भगवान नारायण से संवाद
महाकुंभ 2025 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रभावशाली उपयोग किया गया है। श्रद्धालु एआई की मदद से भगवान नारायण से संवाद कर सकते हैं। वे अपने सवाल पूछ सकते हैं और भगवान नारायण से उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। इस तकनीक ने महाकुंभ के अनुभव को अत्यंत अनूठा और व्यक्तिगत बना दिया है।
समुद्र मंथन का अद्वितीय अनुभव
डिजिटल तकनीक की मदद से श्रद्धालु समुद्र मंथन की घटना का अनुभव कर सकते हैं। डिजिटल कुंभ में इसकी प्रस्तुति इतनी जीवंत है कि श्रद्धालुओं को ऐसा लगता है जैसे वे उस समय के गवाह हों। यह अनुभव न केवल उन्हें अतीत से जोड़ता है, बल्कि उनकी आध्यात्मिक चेतना को भी जागृत करता है।
आयोजन की व्यापक सफलता
डिजिटल कुंभ ने आधुनिक तकनीक और पारंपरिक आध्यात्मिकता का बेहतरीन संगम प्रस्तुत किया है। आयोजकों का मानना है कि इस आयोजन में भाग लेने वालों की संख्या आने वाले दिनों में और बढ़ेगी। यह पहल कुंभ मेले को एक वैश्विक मंच पर ले जाने में सहायक सिद्ध हो रही है।