जांच आयोग का निरीक्षण अभियान
संभल में नवंबर में हुए दंगे की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग ने मंगलवार को जामा मस्जिद और आसपास के इलाकों का दौरा किया। आयोग ने स्थानीय लोगों और अधिकारियों से बातचीत की और घटनास्थल पर पहुंचकर हिंसा के कारणों का पता लगाने की कोशिश की।
टीम ने क्षेत्र के हालात की गहन समीक्षा की। इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने आयोग को घटना के दौरान की परिस्थितियों और सुरक्षा व्यवस्था से अवगत कराया।
विदेशी साजिश के संकेत
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि इस हिंसा की साजिश विदेश में रची गई थी। शुरुआती जांच में यह पता चला है कि सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैलाई गईं और लोगों को भड़काया गया। इस घटना में विदेशी फंडिंग की भी बात सामने आई है, जिसे लेकर पुलिस ने गहन जांच शुरू कर दी है।
स्थानीय लोगों की भूमिका
जांच आयोग ने स्थानीय निवासियों से बातचीत कर घटनाक्रम की जानकारी ली। कुछ निवासियों ने बताया कि हिंसा अचानक नहीं हुई, बल्कि इसके पीछे एक सोची-समझी साजिश थी। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि प्रशासन को पहले से इस तरह की किसी घटना की आशंका थी, लेकिन समय रहते कदम नहीं उठाए गए।
घटना के मुख्य बिंदु
- घटना के दौरान धार्मिक आयोजन चल रहा था।
- स्थानीय विवाद ने बड़े बवाल का रूप ले लिया।
- सार्वजनिक संपत्ति और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचा।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
घटना के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हिंसा को काबू में किया। प्रशासन ने इलाके में कर्फ्यू लगाया और अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की। इसके बावजूद घटना के पीछे के मास्टरमाइंड का पता लगाने में समय लग रहा है।
आयोग की प्राथमिकताएं
जांच आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह हिंसा के कारणों और दोषियों की पहचान करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। आयोग ने स्थानीय प्रशासन से इस संबंध में सभी दस्तावेज और सबूत मांगे हैं।
अगले कदम
आयोग की रिपोर्ट आने के बाद सरकार इस मामले में कठोर कार्रवाई करेगी। पुलिस ने निवासियों से सहयोग की अपील की है और अफवाहों पर ध्यान न देने का अनुरोध किया है।