नीति अग्रवाल ने आखिरी प्रयास में UPSC परीक्षा पास कर देश का गौरव बढ़ाया
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा (CSE) 2023 का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया है। इस बार उत्तराखंड के कई होनहार युवाओं ने शानदार प्रदर्शन कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। तीर्थनगरी ऋषिकेश की बेटी नीति अग्रवाल ने UPSC परीक्षा में आल इंडिया 383वीं रैंक हासिल की। यह उपलब्धि उनके लिए विशेष इसलिए भी है क्योंकि यह उनका छठा और अंतिम प्रयास था।
पिता बेचते हैं चाय, बेटी ने रचा इतिहास
नीति अग्रवाल ऋषिकेश के हरिद्वार रोड पर स्थित जयराम आश्रम के अपार्टमेंट में रहने वाले व्यापारी संजय अग्रवाल की बेटी हैं। उनके पिता घाट रोड पर चाय के प्रतिष्ठित व्यापारी हैं और मां ऋतु अग्रवाल एक गृहिणी हैं। नीति की सफलता ने उनके माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। घर में ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न का माहौल है और रिश्तेदार व पड़ोसी उन्हें बधाई देने पहुंच रहे हैं।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि और प्रेरणादायक संघर्ष
नीति ने अपनी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई मॉडर्न स्कूल, ऋषिकेश से पूरी की है। वह दो बहनों में बड़ी हैं। उनकी छोटी बहन इंजीनियर हैं। माता-पिता ने हमेशा दोनों बेटियों को बेटा मानते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया और हर कदम पर उनका साथ दिया।
2021 में रह गईं थीं सिर्फ एक अंक से पीछे
यह पहला मौका नहीं है जब नीति ने UPSC परीक्षा के अंतिम चरण तक सफर तय किया। वर्ष 2021 में वह इंटरव्यू तक पहुंचीं थीं, लेकिन सिर्फ एक अंक के अंतर से उनका फाइनल चयन नहीं हो पाया था। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी गलतियों से सीख लेते हुए अंतिम प्रयास में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
रोजाना 10 घंटे की कड़ी मेहनत
नीति ने बताया कि उनकी सफलता के पीछे कठिन परिश्रम और सही रणनीति का बड़ा योगदान है। वह रोजाना 10 घंटे पढ़ाई करती थीं और मनोरंजन के सभी साधनों से दूर रहीं। इंटरनेट की मदद से उन्होंने अपनी तैयारी को और मजबूत बनाया। उनका मानना है कि UPSC जैसी कठिन परीक्षा को पास करने के लिए युवाओं को हार न मानते हुए लगातार मेहनत करनी चाहिए।
नीति का मंत्र: हार्डवर्क और आत्मविश्वास
नीति ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और आप आत्मविश्वास के साथ मेहनत करें तो सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा, “लक्ष्य कोई भी बड़ा नहीं होता, जीता वही जो डरा नहीं।”